
विद्यालय एक दृष्टि विद्यालय भारती योजनांतर्गत चलने वाली इन्दुमती टिबड़ेवाल सरस्वती शिशु-विद्यालय मंदिर,चतरा के धार्मिक,ऐतिहासिक एंव प्रकृतिक धरा-धाम की पुण्यभूमि पर 1994 से अनवरत शिक्षा एंव संस्कार को संजाये भारतीय संस्कृति की ज्योति जलाती आा रही है। आदर्श विद्यालय की सेकल्पनाओं को संजोये यह विद्यालय विज्ञान की आधुनिकता से परिपूर्ण एंव पूर्णता की ओर अग्रसरित होने के लिए प्रबंध कारिणी समिती की अग्र सोच, आचार्यो की लगन एंव सार्थक परिश्रम एंव भैया-बहनों को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण शहर में अनुपम स्थान बना सका है। आप आभिभावक का सुझाव, सहयोग एंव भरोसा विद्यालय के लिए प्रेरणादायी रही है।आधुनिकता एंव आध्यात्मिकता की संगम स्थली विद्य का यह मंदिर संस्कार क्षम्य रोजगार परख शिक्षा से सुयोग्य चरित्रवान, एंव राष्ट्रभक्त युवापीढी़ के निर्माण में ट्टढ़संकल्पित है।इससे हमारे भैया-बहन आज की विश्वव्यापी एंव समाजिक चुनौतियों का सामना सफलता पुर्वक कर रहे है।
इन्दुमती टिबड़ेवाल सरस्नती विद्या मंदिर दीभा आपका ही विद्यालय है अतः विद्यालय विकास संबंधी समय समय पर आपका सुझाव आमंत्रित है।विद्यालय के कुछ नियम एंव अनिवार्यताए,जिसमें आपका सहयोग अपेक्षित है।
1 शुल्क जमा करने की तिथि 5,10,15,20,25 है।
2 प्रत्येक माह का शुल्क उसी माह में जमा करना अनिवार्य है।
3 भैया बहनों को दैनन्दनी एंव वन्दना की पुस्तक लाना अनिवार्य है।
4 भैय बहनो को अल्पाहार लाना अनिवार्य है।
5 भैय बहनो को निर्धारित समय पर विद्यालय आवें।विलम्ब होने पर लौटाया जा सकता है।
6 विद्यालय में किसी प्रकार की अनुशासनहीनता करने पर दण्ड के भागी हांेगे।
7 गृह कार्य पूरा कर लेना आवश्यक है।
8 सह पाठ्य क्रिया कलापों में भाग लेना आवश्यक है।
9 भैया बहनों विद्यालय वेश में ही आवे।वेश की अपूर्णता की स्थिति में वापस किया जा सकता है।
10 विद्यालय द्वारा उपल्ब्ध दैनन्दनी में अभिभावक को प्रतिदिन हस्ताक्षर करना आनिवार्य है जिससे कि अभिभावक विद्यालय द्वारा दी गई सूचना एंव गृह कार्य की जानकारी प्राप्त कर सकें।
11 अवाकाश के आवेदन पर आभिभावक का हस्ताक्षर अनिवार्य है।
12 विद्यालय में 85 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।
13 किसी शिकायत या सुझाव को उचित माध्यम से प्रधानाचार्या के पास रखना होता है।अन्यत्र रखना अनुचित माना जाएगा।
14 विद्यालय द्वारा समय-समय पर दिए गये निर्देश्शों एंव नियमो का पालन करना अनिवार्य है।
15 विद्यालय परिसर में अपने सहपाठियों को भैया बहन शब्दों से सम्बोधित करें।अपने शिक्षकों को आचार्य जी एंव दीदी जी शब्द से सम्बोधित करें।
16 विद्यालय परिसर में क्षेत्रीय /स्थानीय भाशा का प्रयोग न करें।
17 विद्यालय में आचार्यों से निर्देषों का पालन करना अनिवार्य है।कक्षा-कक्ष में अनावष्यक षोर गुल करना दण्डनीय है।
18 अभिभवक बन्धु सीधे आचार्य ष अपने पाल्य से नहीं मिल सकते है।इसके तिए प्रधानाचार्य की अनुमति लेना आवाष्यक है।